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Friday, 24 June 2016

मैं चलता जा रहा हुँ


सपनों के बादल आकर मेरे आँगन में डेरा डाल चुके है

मेरे हौसले और इरादे पूरी शिद्दत के साथ उन सपनो को जीने में जुट चुके है
इन गरजते हुए मजबूत दृंसंकल्प को

तेज़ हवाओं की तरह आगे बढ़ रहे नकारात्मक ख्याल डिगा नही पा रहे
मैं एक नई उड़ान में निकल चुका हुँ

जहाँ शीतल हवाएं और पेड़ के पत्तों पे गिरते छोटे छोटे पानी के छींटे
मेरे अंदर एक नई ऊर्जा प्रदान कर रहे हैं

मैं चलता जा रहा हुँ
एक नए एहसास के साथ
एक नई उमंग के साथ
अपने सपनो को जीते हुए मैं चला जा रहा हुँ