आइना आज फिरसे सामने आया, बीत चुके समय की उन मुश्किलों और गलतियों को मुझसे रूबरू कराया,
थोड़ा हंसाया और थोड़ा रुलाया,
जब बीते हुए पलों का चेहरा सामने आया
तब गुम हो चुकी यादों को मैंने गले लगाया
जब-जब मैं गिरा आईने ने मुझे मेरी ताकत का एक खूबसूरत चेहरा मेरे सामने लाया
मेरे हौसले के चेहरे को आईने ने हमेशा हँसता हुआ दिखाया
समय आगे बढ़ता गया और यादों का अंबार लगता गया
पर जहाँ-जहाँ आइना चेहरे के सामने आया
हमेशा वो गुजर चुकी यादों के चेहरे को आईने ने करीब से दिखाया''
-मनीष उपाध्याय
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