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Wednesday, 27 December 2017
कुलभूषण जाधव
मैंने कभी न सोचा था
की तू इस हद तक जाएगा,
माँ बेटे के प्यार को
एक शीशे की आड़ में दबाएगा,
एक पत्नी के सिंदूर से खिलवाड़ करके
तू उसकी जूती तक के लिए ललचा रहा,
मानवता की बात करके
एक माँ को ही तरसा रहा ,
कितना भी तू कर ले कोशिश
जीत कभी न पाएगा,
तूने जो दिखाया दुनिया को
वो सब तुझे ही अब तडपाएगा।
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